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युवाओं व कांग्रेसियों में जोश भर कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी दो फरवरी 2010 को वापस लौट गए। वे दो दिनी बिहार दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ कांग्रेसियों में जोश भरा बल्कि युवाओं को भी राजनीति में शामिल होने का खुला ऑफर दिया। राहुल बिहार का दौरा पहले भी कर चुके हैं पर इस बार के दौरे में वे काफी बदले-बदले नजर आए। राहुल ने अबकी खुलकर कहा कि लोग उन्हें बिहारी समझें, यहां के लोगों का हर दुख-दर्द उनका है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि राहुल ने हर वो बात कही, जो यहां के लोग सुनना चाहते थे। कांग्रेस की नजर इसी साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। राहुल ने इस दौरे से चुनाव का बिगुल फूंक दिया। हालांकि गए वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पाले में सिर्फ तीन सीटें ही आई थीं। लेकिन जनाधार में बढ़ोतरी हुई थी। कई प्रत्याशी तो जीतते-जीतते हार गए थे। इससे पहले राजद सुप्रीमो डेढ़ दशक तक कांग्रेस को अंगुलियों पर नचाते रहे थे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जोर का झटका तब लगा था, जब राजद-लोजपा के प्रमुखों ने गठबंधन कर कांग्रेस के लिए सिर्फ तीन सीटें छोड़ दी थीं। इससे नाराज कांग्रेस ने अकेले ही बिहार की चालीसों लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए थे। लोस चुनाव में ही सोनिया गांधी व राहुल गांधी के जादुई मंत्र का ही नतीजा रहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा सीटें मिलीं। राहुल गांधी के दो दिनी बिहार दौरे का मुख्य उद्धेश्य विस चुनाव ही माना जा रहा है। राहुल की नजरें युवाओं पर ही अधिक रहीं। हालांकि पार्टी कार्यकर्ताओं में भी उन्होंने जोश भरा। परंतु उधार के जोश से विधानसभा चुनाव में मनोनुकूल स्थान बनाना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा? राहुल की इच्छा है कि युवा मैदान में उतरें। जाहिर है कि युवा यदि चुनाव मैदान में उतरेंगे तो न सिर्फ उनका पूरा परिवार बल्कि बुजुर्गों को भी न चाहते हुए भी साथ देना होगा। राहुल अपने दौरे के दौरान दरभंगा, पटना के छात्र-छात्राओं से भी मिले। अपने कार्यक्रम के दौरान ही डालमियानगर में राहुल ने कहा कि केरल में चार युवा चुनाव मैदान में उतरे, सभी की जीत हुई। पहली बार उन्होंने कहा कि यहां के लोग उन्हें बिहारी समझें। ये हर सुख-दुख में यहां के लोगों के साथ हैं। मुंबई सबका है, न कि सिर्फ मराठियों का। मुंबई में बिहारियों को जाने या रहने से कोई नहीं रोक सकता, यदि कोई ऐसा करता है तो वे इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे। यानी राहुल गांधी ने हर वो बातें कहीं, जो बिहार के लोग सुनना चाहते थे। इसके बावजूद कई जगह उनका विरोध हुआ, क्योंकि कड़ी सुरक्षा की वजह से बहुत सारे लोग उनसे मिल नहीं पाए। ऐसे में इनलोगों ने आक्रोश जताकर अपनी बात रखीं। अब देखना है कि राहुल ने जो जोश युवाओं और कांग्रेसियों में भरा है, उसका कितना फायदा विधानसभा चुनाव में होता है। कांग्रेस को पिछली बार से अधिक सीटें आनी तो तय है। परंतु फायदा कितना होगा, कहना जल्दबाजी होगी। कांग्रेस के जगदीश टाइटलर कई बार दुहरा चुके हैं कि राहुल के बाद सोनियां गांधी बिहार दौरे पर आएंगी। इस साल होने वाले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस अपने पक्ष में फैसला चाहती है। परंतु, फैसला तो जनता के हाथों में है और जनता चुप है, खामोश है।
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