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बिहार की बेटी पर लखनऊ में जुल्म

जरा हट के
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बिहार के मुजफ्फरपुर की बेटी अनामिका पर उत्तरप्रदेश के लखनऊ में पिछले तेरह साल से जुल्म हो रहा है। जुल्म की वजह है एक मां। मां का प्यार कभी-कभी इतना अंधा हो जाता है कि वह सही-गलत में निर्णय नहीं कर पाती है। यह सच्ची कहानी लखनऊ के बादशाह नगर में रहनेवाला एक ऐसे परिवार की है, जहां मां ने ही अपनी बेटी का घर नहीं बसने दिया। शादी के बाद बेटी घर से विदा हुई, ससुराल में उसने शासन करना चाहा। मां ने यही सिखला, जो रखा था। शादी के बाद उसने जैसे-तैसे कुछ माह काटे। फिर मां ने उसे ससुराल रहने नहीं दिया। इस दौरान उसने एक बेटे को जन्म दिया। उसके पति ने उसे मनाने की बहुत कोशिश की, मगर मां के वश में रह रही बेटी ने नहीं माना। इस घर के इकलौते बेटे मनीष की शादी 1996 में बिहार के मुजफ्फरपुर में हुई। शादी उसकी पसंद से हुई, देखते-देखते मनीष की पत्नी अनामिका ने दो बच्चियों को जन्म दिया। मनीष का ससुराल धनाढय़ नहीं था। मनीष से ज्यादा उसकी मां को यह चिंता सता रही थी कि बहू अपने मैके से मोटी रकम लेकर क्यों नहीं आई? इधर, ससुराल छोड़ मैके में रह रही उसकी अपनी बेटी ने मां के कान फूंकने शुरू कर दिए। उसे दो साल बाद बहू खराब दिखने लगी। बहू की शिकायत वह हमेशा बेटे से किया करती थी। आजिज बेटे ने बहू को मानसिक रूप से प्रताडि़त करना शुरू किया। बहू के परिवार वाले हाथ-पैर जोड़कर अपनी उन गलतियों के लिए माफी मांगते थे, जो उन्होंने नहीं किए थे। इसी क्रम में बेटी के कहने पर सास ने बहू को अलग खाना बनाकर खाने को कहा। उसे अपने पति और बच्चों का खाना बनाने की इजाजत नहीं थी। इस जुल्म से अनामिका खोखली होती चली गई। अनामिका के घर वालों को जब इस बात का पता चला तो वे उसे वर्ष 2001 में घर ले आए। वह मैके आकर रहने लगी। दो माह बाद ही उसे पता चला कि उसकी सास की तबीयत बिगड़ गई है तो वह भागते हुए ससुराल चली गई। दो-चार माह ठीक गुजरा। फिर जुल्म शुरू हो गया। जुल्म की हद तब और बढ़ गई जब सास ने अनामिका को दोनों बेटियों से अलग कर मैके भिजवा दिया। यह पहले एक बार हुआ, इसके बाद आदत बन गई। छह माह तो कभी आठ माह पर अनामिका को मैके भेज दिया जाता है। सारी परेशानी की वजह सिर्फ वह बेटी, बहन थी जो अपने पति से लड़कर मैके रह रही थी। इन सब बातों के बाद भी अनामिका अपने ससुराल वालों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहती है। 2009 में भी उसे जबरन मैके पहुंचा दिया गया, वह भी अकेले। महीनों बाद उसका पति लेने आया। पुनः माह भी नहीं गुजरा की, मैके फोन आना शुरू हुआ कि वे अपनी बेटी को ले जाएं। अनामिका के पिता का कहना है कि उनकी बेटी को ससुरालवाले पागल बनाने पर लगे हुए हैं। इसकी वजह वे दहेज मानते हैं। इनका यह भी कहना है कि उनके दामाद में कोई खोट नहीं है। सारे फसाद की जड़ उसकी बहन है। इसी वजह से सास भी अनामिका के खिलाफ रहती है। हर तीस में एक घर अनामिका के ससुराल की तरह ही है। सास यह भूल जाती है कि कभी वह भी बहू थी। बेटी जब ससुराल छोड़ मैके में बस जाए तो उस घर की हालत नारकीय हो जाती है। यह एक कड़वा सच है। अनामिका की जिंदगी कैसे कटेगी ? कब तक अनामिका प्रताडि़त होती रहेगी। यह सवाल समाज के हर व्यक्ति के लिए है, जो इस तरह की हरकतों में शामिल है ?

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