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इन ‘ललबबुओं’ को चाहिए तरक्की

जरा हट के
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२० डिग्री पारा में ‘ललबबुओं’ को लू मार देती है। दस कदम चलने पर इनके पांव में सूजन आ जाती है। वेतन के लिए साइन करने पर भी इनकी अंगुलियां दुखती हैं। इन्हें चाहिए बेकाम ही पैसा और तरक्की। आप चाहे जहां काम करते हों-निजी या फिर सरकारी दफ्तर, इस तरह के लोग भरे-पड़े हैं। गिनती में इनकी संख्या कहीं कम या फिर थोड़ी अधिक हो सकती है। पर, यकीन मानिए-ये हैं हर जगह। इनका कोई कुछ बिगाड़ भी नहीं सकता, वजह साफ है-इनकी पैरवी बॉस के बॉस तक है। ये ‘ललबबुए’ सिर्फ काम में ही इस शब्द का गुण रखते हैं, बात करने पर तो ये दहाड़े मारते हैं। ऐसे लोगों को दो-चार मुलाकात में समझना अत्यंत कठिन है।

प्रसंग एक : बात कुछ दिन पुरानी है, पर है सौ फीसदी सच। एक दफ्तर में देर शाम एक ईमेल आया, जिसमें एक आफिस के ‘बॉस’ के तबादले का संदेश था। दफ्तर के ‘ललबबुओं’ ने जमकर खुशियां मनाईं कि इन्हें अब पहले से भी कम काम करना पड़ेगा। बॉस आए तो ‘ललबबुओं’ को कुछ दिन अधिक काम करना पड़ा। फिर क्या ये पहुंच गए बॉस के बॉस के पास और कहा कि कंप्यूटर देखते ही आंखें दुखने लगती हैं, की-बोर्ड पर हाथ रखने से अंगुलियां। दिन तीन तीखी और रात डरावनी लगती है। सो, ऐसा काम मिले जिसमें ये तत्व बाधक न हों। फिर क्या था, इन्हें आराम का काम भी मिला और तरक्की भी।

प्रसंग दो : एक ‘ललबबुआ’ से बातचीत में मैंने पूछा कि आप इतने ‘देहचोर’ क्यों हो। उसने पूरा मुंह खोल दिया और लगा ठी…ठी…करने। मैं अवाक रह गया। उसने कहा वह सिर्फ आफिस में ही ‘ललबबुआ’ है। बाहर की दुनिया में सबसे फास्ट। उसने वजह बताई कि यदि वह जल्दी से जल्दी काम निपटा लेगा, तो उसे और काम दे दिया जाएगा। इसीलिए वह अपने काम को इस तरह से निपटाता है कि ताकि कोई उसे दूसरा काम न दे। बात सच है-उसे अपनी कुर्सी से उठकर शौचालय तक की दूरी तय करने में पन्द्रह से बीस मिनट का वक्त लगता है।

‘ललबबुए’ की हरकतों से सबसे ज्यादा नुकसान वैसे लोगों को होता है, जो ‘पैरवीपुत्र’ नहीं हैं। ये ‘ललबबुए’ भले ‘कामचोर’ हों। परंतु, इनसे अधिकतर लोग प्रसन्न रहते हैं। इसकी वजह है कि समय-समय पर ये पान-बीड़ी-सिगरेट मुफ्त में बांटते रहते हैं। यदि गलती से कभी आपने ‘ललबबुए’ को यह कह दिया कि तुम ‘देहचोर’ हो और ‘चपरासी’ के लायक भी नहीं हो। इसका परिणाम आपको भुगतना पड़ेगा क्योंकि इस ‘ललबबुए’ की पकड़ बॉस के बॉस और उनके बॉस तक है। यह ‘ललबबुआ’ जानता है कि बॉस अपने बॉस की बात नहीं टालेंगे। इसी का यह फायदा उठाता है। इसकी कभी इच्छा हुई तो कुछ काम कर दिया। नहीं तो राम…राम…बाय बाय…ठी…ठी। ये जानकारी तो क्लर्क वाली रखते हैं, परंतु कुर्सी इन्हें अफसर वाली चाहिए।

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