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बॉस को चेहरा नहीं, काम दिखाइए

जरा हट के
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तुरंत लाभ लेने की होड़ में आजकल कमोवेश सभी दफ्तरों में एक ‘ट्रेंड’चल पड़ा है कि नए बॉस को खुश कैसे किया जाए। कैसे उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाई जाए। देखा जाता है कि वर्षों से काम कर रहे कामचोर, देहचोर को भी उस समय पंख लग जाते हैं, जब पुराने बॉस का तबादला और नए का आगमन होता है। पुराने बॉस ने काफी सोच-समझकर ही कुछ लोगों को देहचोर और कामचोर का खिताब दिया था। नए बॉस को सबकुछ समझने में थोड़ा समय तो लग ही जाता है। ऐसे में कामचोर और देहचोर काम से ज्यादा समय उन चीजों को ढूंढने में बिता देते हैं, जिससे नए बॉस प्रसन्न हों। वहीं, चुगलखोर पुराने बॉस की चुगली में जुट जाते हैं। कभी सड़क की धूल फांक रहे लोगों को नौकरी देने वाले पुराने बॉस को भी ये गाली देने से नहीं चूकते। इन्हें लगता है कि ऐसा करने से नए बॉस खुश हो जाएंगे और तरक्की दे देंगे। परंतु, यह इनकी कितनी बड़ी भूल है-यह तो समय ही बताता है। ऐसे लोगों के हथकंडे भी अलग-अलग होते हैं। कोई नए बॉस को भगवान का दर्जा दे डालता है तो कोई विद्वान का। कोई कहता है पुराने बुरे थे-आप अच्छे हैं। कोई कहता है कि पुराने ने जिंदगी बर्बाद कर दी-आपसे आबाद होने की उम्मीद है। कोई बॉस को देखते ही काम तेजी से करने लगता है तो कोई उन्हें देखकर निर्देश देने लगता है। कोई झुककर पांव छुता है तो कोई हाथ जोड़कर उनका चेहरा निहारने में लग जाता है। यह है निजी कार्यालयों की सच्चाई। इस रोग से मीडिया के दफ्तर सबसे ज्यादा बीमार हैं-कहना गलत नहीं होगा। निजी दफ्तरों में सच को सच साबित करना काफी मुश्किल है। क्योंकि, सच पर यदि अडिग हुए तो नौकरी तक चली जाएगी? सवाल यह भी कि यदि सच बॉस को बताया जाए तो क्या वे मानेंगे? जवाब यही होगा कतई नहीं? वजह साफ है-काम करने वाला व्यक्ति यह नहीं कहेगा कि सही में वह कार्यों के प्रति सजग है? कहे भी तो क्यों? उसे यह अभिमान रहता है कि वह मेहनती और अपने कार्य के प्रति ईमानदार है। फिर वह सबूत क्यों दे, परंतु यह कलयुग है। यहां हर चीज का सबूत चाहिए। बॉस को भी सबूत चाहिए। हालांकि कुछ बॉस ऐसे भी होते हैं, जो ज्यादा आगे-पीछे करने वालों को तुरंत भांप लेते हैं और उन्हें दरकिनार कर देते हैं। परंतु इसमें थोड़ा वक्त लग जाता है। तबतक कई कामचोर, देहचोर और चुगलखोर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं। हालांकि इनकी कलई भी जल्द ही खुल जाती है और वे कहीं के नहीं रहते हैं। इसलिए संस्थान के प्रति ईमानदार रहें न कि किसी व्यक्ति विशेष के प्रति। काम करने वाला हर बॉस अपने साथियों से यही उम्मीद करता है।

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