Menu
blogid : 212 postid : 1312286

बिक रही शराब, पी रहे लोग

जरा हट के
जरा हट के
  • 59 Posts
  • 616 Comments
राज्य सरकार ने गए साल शराब बेचने व पीने पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। इसके लिए कड़े कानून भी बना दिए, लेकिन सच यही है कि शराब बिक रही है और लोग पी रहे हैं। हां, अब खुलेआम कोई नहीं पीता है, बल्कि घरों में…! पार्टियां भी घरों में ही दी जाती हैं। शराब विक्रेताओं ने अब बिक्री का पैटर्न बदल दिया है। बिक्री के लिए अब ‘विशेष कोड’ का इस्तेमाल किया जाता है, फिर झोले में रखकर बोतल ग्राहक के घर तक पहुंचाई जाती है। कस्टमर देखकर दाम दोगुने व चौगुने वसूले जाते हैं। रिस्क अधिक होने की बात कहकर दाम अधिक वसूले जा रहे हैं। कानून के भय से खुलेआम पीने का साहस इक्के-दुक्के ही कर रहे हैं। सरकार ने नियम तो कड़े कर दिए, लेकिन यह तंत्र विकसित नहीं किया गया कि घरों में पीने वालों की पहचान कैसे होगी? उनपर कार्रवाई कैसे होगी? जिस मुहल्ले में पांच-छह घर के लोग पीने वाले हैं, वे एक ‘जासूस’ भी रखते हैं। वह नजर रखता है कि कहीं पुलिस की गाड़ी तो नहीं आ रही है। शराबबंदी रोकने की जिम्मेवारी पुलिस और उत्पाद विभाग की है। पुलिस शराबबंदी के नाम पर रोज चांदी काट रही है। यदि वह 50 कार्टन शराब जब्त करती है तो उत्पाद विभाग को सिर्फ 40 कार्टन ही शराब हाथ लगती है। दस कार्टन कहां गए, किसी को पता नहीं। सवाल कौन करेगा? पावर तो उसी के पास है? दस कार्टन शराब में से कुछ पुलिस वाले गटक जाते हैं और कुछ उन व्यवसायियों के हाथों दोगुने दाम पर बेच देते हैं, जो पुन: चौगुने दाम पर ग्राहकों को सप्लाई करते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी का निर्णय वास्तव में सराहनीय है, लेकिन कानून के रक्षक ही इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। यदि वास्तव में शराबबंदी पर पूरी तरह से रोक लगानी है तो छापामार दस्ते बनाने होंगे, जो समय-समय पर विभिन्न जगहों पर छापेमारी करें। इसी तरह कुछ ऐसे नंबर जारी करने होंगे, जिसपर लोग बेखौफ सूचना दे सकें। दो-तीन वाट्सएप नंबर भी जारी करने चाहिए। इस सूचना पर त्वरित कार्रवाई भी हो और सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाए, तभी लोग आगे आएंगे। हेल्थ के विशेषज्ञ शराबबंदी को राज्य हित में लिया गया फैसला मानते हैं। मगर, यह भी मानते हैं कि लोगों ने डर से शराब छोड़ी है, इच्छा से नहीं। इसलिए सरकार की ओर से नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, ताकि लोग शराब की बुराई को जान सकें और मन से इसका त्याग करें। कई धनाढय़ लोग अभी भी दूसरे राज्यों व नेपाल में जाकर शराब का सेवन कर रहे हैं। वहीं, गरीब नशा के लिए कप सीरप समेत कई नशे की दवाइयों का उपयोग कर रहे हैं। ये स्वास्थ्य के लिए नुकसान हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh